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R4 Show Review - 17th & 18th Jan 2024

1/18/2024

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आज का झुमरीतलैया शो रोशन के दो गानों से सजा था जिनमें से एक लगभग अनसुना और दूसरा सबका सुना हुआ है पर दोनों ही बहुत मधुर और बार-बार सुनने लायक है ।
सभी सदस्यों द्वारा बेहतरीन फरमाइश प्रस्तुत की गई और उसके विषय में विस्तृत जानकारी भी दी गई। वंदना निगम एक कुशल संचालिका और उद्घोषक हैं। उन्होंने शो को बहुत उम्दा तरीके से प्रस्तुत किया और कोई आश्चर्य नहीं कि सभी ने इस बारे में उनकी तारीफ की है ।

जयंत कुलकर्णी जी जो ग्रुप के वरिष्ठ और सम्मानित सदस्य हैं को अहिंदीभाषी होते हुए भी हिंदी और उर्दू भाषा पर कमाल का अधिकार है और उनके द्वारा अक्सर कुछ दुर्लभ कम सुने, अनसुने गाने , अपनी पसंद के तौर पर प्रस्तुत किए जाते हैं । आज भी ऐसा ही दिन था ।  50 के दशक की कम चर्चित और फ्लॉप फिल्म चांदनी चौक में शैलेंद्र का लिखा रोशन का निर्देशित और लता मंगेशकर द्वारा गाया बहुत कम सुन गाना सुनवाया गया
दिल की शिकायत नज़र के शिकवे
 एक नज़र और लाख बयां छुपा सुकू ना दिखा सकूं
मेरे दिल के दर्द भी हुए जवां गाना एक खत के रूप में फिल्म में प्रयोग किया बताया गया । गाने के एक स्टैंज़ा में कहा गया है
थोड़े  लिखे को बहुत समझ लो
नए नहीं ये अफसाने
दिल मजबूर भर आता है छलक उठे हैं पैमाने
खत में जहां आंसू टपके है लिखा है मैंने प्यार
वो छुपा सुकू ना दिखा सकूं

 पहले पैरा   में गायिका द्वारा कहा गया कि उसके दिल का दर्द सिर्फ उसका प्रेमी ही जानता है और कोई नहीं।  लता मंगेशकर की बहुत ही मीठी आवाज इस गाने में सुनने को मिलती है जिससे शुभ मधुर धुन और अर्थपूर्ण बोल के साथ एक उच्च स्तर का गीत बन जाता है। कविराज ही इतने भावपूर्ण और असरदार गीत लिख सकते हैं । फिल्म बी आर चोपड़ा की थी पर चली नहीं थी। इस नायाब  पसंद के लिए जयंत जी हमारे धन्यवाद के पात्र हैं।

 एनकेडी द्वारा प्रस्तुत रोशन का दूसरा गीत बहुत चर्चित है, सबको पता है पर उस गाने को रोज भी सुन तो भी उस से दिल नहीं भरता आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
 कि मेरे दिल पे पड़ा था
गम का साया

इसमें लता मंगेशकर की एंट्री ही बहुत जबरदस्त है
मैं ने भी सोच लिया साथ निभाने के लिए
 दूर तक आऊंगी मैं तुमको मनाने के लिए
फिल्म की कहानी त्रिकोण प्रेम पर बनी बहुत कम व्यवहारिक फिल्मों में से एक है जिसमें कोई जबरदस्ती शहीद नहीं होता और नायक नायिका का सुखद मिलन भी हो जाता है। गीतकार और संगीतकार दोनों की अव्वल दर्जे की रचना ने गीत को सर्वकालिक बना दिया है ।

रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती के सामां हो गए ,ये तस्लीम फाज़ली की लिखी मशहूर गज़ल जो नाशाद के संगीत में मेहंदी हसन ने पाकिस्तानी फिल्म जीनत के लिए गाई थी
रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती के सामां हो गए  
 पहले जां फिर जानेजां फिर जानेजाना हो गए
के पहले दो जुमलों में थोड़ा तब्दील करके कमर जलालाबादी ने एक दोगाना बनाया
 रफ्ता रफ्ता वो मेरी मेरे दिल का अरमां हो गए
 पहले जां फिर जानेजां फिर जानेजाना हो गए
जो महेंद्र कपूर गाते हैं  । आशा भोंसले इसके जवाब में कहती हैं
 रफ्ता रफ्ता वो मेरे तस्कीं के सामां हो गए
पहले दिल फिर दिलरुबा फिर दिल के मेहमां हो गए आशा भोसले के हिस्से में जो पंक्तियां आई हैं सामान्यत: वो पुरुष गायक द्वारा गाई जाती हैं
रफ्ता रफ्ता उनकी आंखों का नशा बढ़ने लगा
 पहले मय फिर मयकदा फिर मय  का तूफां हो गए यह एक अपने आप में अनूठा ही गीत होगा जिसमें नाईका द्वारा मय, मयकदा,मयकदा  में  तूफां आदि बुलवाया गया है । गाना बहुत खूबसूरत है और श्रीनिवास गडियाल जी से इससे कम स्तर की पसंद की हम उम्मीद भी नहीं करते। बहुत कम चर्चित संगीतकार बसंत प्रकाश के निर्देशन में इतनी ठहराव लिया हुआ  ये  गाना,
हरदिलअजीज़ है ।

जोय द्वारा हसरत जयपुरी का लिखा, शंकर जयकिशन का निर्देशित और मुकेश द्वारा गाया सदाबहार रोमांटिक गीत कुछ शेर सुनाता हूं मैं जो उनसे मुखातिब है
 एक हुस्नपरी दिल में है जो तुझ से मुखतिब है
 सुनवाया गया। गाना अपने अलग अंदाज के
औरकेस्टेशन के लिए और मुकेश की लाजवाब गायकी के लिए जाना जाता है ।  गाने में सारंगी का बहुत अच्छा प्रयोग है । गाने के लम्बे अंतरे धीरे-धीरे लो पिच से हाई पिच  तक जाते हैं और फिर लो पिच पर, पूरे सुर से आते हैं ।  गाना बहुत खूबसूरती से गाया  गया हैं। निस्संदेह यह गाना शंकर जयकिशन और मुकेश के बेहतरीन गानों में से एक है ।

संदीप गर्ग द्वारा मुग़ल-ए-आज़म का मशहूर गाना
खुदा निगेहबान हो तुम्हारा तड़पते दिल का पयाम ले लो
सुनवाया गया । नौशाद शकील बदायुनी और लता मंगेशकर की यह कालजयी रचना फिल्म की सिचुएशन के अनुसार एकदम माकूल है और नायिका के जज़्बात को आवाज देता है।

 कार्तिकेय  जुनेजा ने नौशाद शकील, बदायुनी की ही एक और रचना पसंद की मिल-जुल के गाएंगे दो दिल यहां एक तेरा एक मेरा
जो  सन 50 से पहले की रचना है। लता मंगेशकर की आवाज इसमें बहुत फ्रेश है। बांसुरी का अच्छा प्रयोग  सुनने को मिलता है और घुंघरू भी साफ सुनाई देते हैं । इस फिल्म के सारे गाने जबरदस्त हिट हुए थे और वह साल नौशाद के लिए स्वर्णिम काल से काम नहीं है क्योंकि इस साल दर्द और अंदाज भी आई थी और उनके गाने पूरी तरह धूम मचा रहे थे ।

सुनिए जरा देखिए ना
 राजेंद्र किशन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और लता के सहयोग से बना ये गाना 70 के दशक के मध्य का है और अच्छा अरेंजमेंट होने के बावजूद ज्यादा चर्चित नहीं हुआ क्योंकि फिल्म नहीं चली तो गाना भी कहीं गुम हो गया । अनुराधा जी ने ये गाना अपनी पसंद से आज सुनवाया और हम सबको इस गाने की खूबसूरती से अवगत कराया। इसमें गिटार और सैक्सोफोन का इस्तेमाल प्रमुख है
ललिता जी ने अपनी पसंद का गाना
 तुम जो हुए मेरे हमसफर रस्ते बदल गए
सुनवाया जो मोहम्मद रफ़ी और गीता दत्त का गाया हुआ मजरूह और ओपी नयैर के सहयोग से बना सुहाना रोमांटिक गीत है। फिल्म 12 ओ'क्लॉक गुरुदत्त को रिबाउंड पर मिली थी क्योंकि इसमें पहले देवानंद ने काम करना था पर जी पी सिप्पी की एक और फिल्म में देवानंद को उम्मीद के अनुसार महानताना नहीं मिलने की वजह से देवानंद ने इस फिल्म में काम करना से मना कर दिया था ।  गीता दत्त की गायकी किसी भी रूप में सुनना एक सुकून का  क्षण  होता है । इस संगीतकार द्वारा गीता दत्त  से 1958 के बाद कभी काम नहीं कराया गया जो आश्चर्यजनक होने से ज्यादा दुखद है ।

 हमारे सभी जानकार सदस्यों ने अच्छे गीत चुने और उसके बारे में बहुत अच्छी जानकारी सबको उपलब्ध कराई । वंदना निगम का नरेशन और अंदाज तो हमेशा मनभावन और क्लास होता ही है l

मेरे द्वारा प्रीमियर मेंबर प्रेजेंटेशन जो दिनांक 13 जनवरी को कम सुनी कव्वालियों के शीर्षक से प्रस्तुत किया गया था के संबंध में  जिन भी सदस्यों ने उसे पसंद किया मुझे उन सब का तहेदिल से धन्यवाद करना है ।  रोशन की कंम सुनी, कव्वालियां में जरूर ले सकता था पर उस सूरत में कुछ और बहुत अच्छी कव्वाली जो और संगीतकारों ने हमें दी हैं वो  सामने आने से रह जाती । मैं नहीं चाहता था कि कव्वाली का कुछ  भी भाग संपादित हो इसलिए मैंने  गानों के संबंध में  बहुत कम जानकारी दी ।

मैं बालाजी का विशेष रूप से धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने अपने बहुमूल्य समय में से कुछ लम्हे निकालकर मेरे प्रोग्राम का रिव्यू इतने विस्तार से अपनी कीमती राय के साथ लिखा ।
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    Ramakant Gupta

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