हम लोग हैं ऐसे दीवाने दुनिया का झुका कर मानेंगे मंजिल की धुन में आए हैं मंजिल को पाकर मानेंगे
कार्यक्रम हमेशा की तरह बहुत बढ़िया था जिसमें निर्माता की कड़ी मेहनत और खोजबीन का अंदाज़ा लग जाता है। एक मूल बात रखने की धृष्टता कर रहा हूं अगर इसको अन्यथा ना लिया जाए । गणतंत्र दिवस मनाना एक गर्व की बात है। पर जैसा कि ग्रुप के एक और सदस्य ने मेरे संज्ञान में ये महत्वपूर्ण बात लाई, जिससे मैं भी बहुत हद तक इत्तेफाक रखता हूं, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में अंतर है । गणतंत्र दिवस संविधान के लागू होने का सूचक है और उसके बाद देश के हुक्मरान और हर नागरिक का ये दायित्व बन गया था कि वो देश के विकास और निर्माण में तन, मन, धन से जुट जाएं। इस राष्ट्रीय पर्व को मनाने के लिए ऐसे गानों का लिया जाना बेहतर है जिसमें देश के निज़ाम द्वारा उस संविधान में निहित मुख्य बातों के क्रियान्वयन और उसमें आम जनता की सक्रिय सहभागिता की बातें हों। हम सब लोग इस बात से अवगत हैं कि अनगिनत लोगों के बलिदान के स्वरूप हमको आजादी मिली थी और उनका गुणगान हम जितना भी करें कम है । देश की आजादी के बाद हुए मुख्य युद्धों में हमारे सेना के पराक्रम का गुणगान भी होना ही चाहिए । आज हमारी सेना द्वारा हम सबकी सुरक्षा के लिए सुदूर सीमा पर जान हथेली पर लेकर जो अभूतपूर्व कार्य किया जा रहा है उससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता । गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश मैं मूलभूत सुविधाओं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय और सुरक्षा किसी भी तरह की गैर बराबरी का अंत, पर्यावरण का रखरखाव जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प और उनको उपलब्ध कराने में आने वाली बाधाऔं को यथासंभव दूर करने का जीवट दिखाने संबंधी गाने ज्यादा उपयुक्त है। संविधान में घोषित अभिव्यक्ति के अधिकार का संरक्षण सुनिश्चित कराना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है । एक सजग और जागरूक नागरिक के नाते हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि धर्म और जाति के भेदभाव बिना संविधान द्वारा घोषित इन मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए हम सब प्रयासरत रहे। देशभक्ति से भरे हुए दुर्लभ गाने इस अवसर पर प्रस्तुत किए गए । होनहार गीतकार प्रेम धवन द्वारा लिखा और उषा खन्ना द्वारा स्वरबद्ध किया मुकेश और कोरस द्वारा गाया 60 की फिल्म का टाइटल सॉन्ग छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी नए दौर में लिखेंगें मिलकर नई कहानी हम हिंदुस्तानी हम हिंदुस्तानी हर तरह से इस पर्व को मनाने के लिए उपयुक्त गाना है क्योंकि इसमें युवा वर्ग द्वारा आवाहन किया जा रहा है कि भूतकाल को भुलाकर वर्तमान और भविष्य के उज्जवल निर्माण के लिए हम सबको लगना है । गीतकार और संगीतकार दोनों ही अति प्रतिभाशाली होते हुए भी कम सेलिब्रेटेड हैं और , शीर्ष कलाकारों में अपना स्थान बनाने में हमेशा असफल रहे जो दुखद है। इस गाने को सुनकर कोई भी इन दोनों की काबिलियत का लोहा मान लेगा । अपनी आवाज की सीमाएं होते हुए भी मुकेश ने गाना बहुत अच्छा गया है। गाना सुनते ही हर किसी में स्वेत: ही ऊर्जा का संचार हो जाता है । 65 साल बाद भी गाने की ताजगी और नयापन नहीं गया है जो इस गाने की अमरता का प्रमाण है । 'माटी में सोना है हाथ बढ़ा कर देखो' और 'चाहो तो पत्थर से धन उगा कर देखो' ऐसी प्रेरणादायक और तरक्कीपसंद पंक्तियां प्रेम धवन ने इस गाने में हमें दी है । उन्हीं के द्वारा लिखा गया 'ए मेरे प्यारे वतन' लगभग उसी समय बहुत मकबूल हुआ था। संभवत: इन दोनों को ध्यान में रखते हुए ही मनोज कुमार ने भगत सिंह पर आधारित शहीद में उनको गाने लिखने और संगीत देनै का जिम्मा सोंपा था जिसको उन्होंने भली-भांति निभाकर इतिहास रच दिया था। बही है जंवा खून की आज धारा उठो हिंद की सरज़मीं ने पुकारा हरिराम आचार्य द्वारा लिखित, दानसिंह द्वारा निर्देशित मन्ना डे द्वारा गाया ये ओजस्वी गीत एक ऐसी फिल्म 'भूल न जाए' से लिया गया जिसको , इन कम चर्चित पर गुणी संगीतकार के अनुसार तत्कालीन सरकार द्वारा रिलीज नहीं होने दिया गया क्योंकि इसमें सन 62 के चीन के साथ हुए संघर्ष का बयान था । उन की बात से इनकार करने की हमारे पास कोई वजह नहीं है क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का काम सरकार निरपेक्ष है और हमेशा से होता आया है। आज का दौर इससे अनछुआ नहीं है । अभी हाल ही में एक ओटीटी प्लेटफॉर्म से एक फिल्म को टेक डाउन करने के लिए बाध्य किया गया है । गीत, संगीत, गायन, सभी उच्च स्तर के होने के कारण गाना अनसुना पर श्रेष्ठ है । इसको खोज निकालने का और इसके पीछे की कहानी को सबके सामने लाने के महती कार्य के लिए हमारे निर्माता शाबाशी के हकदार हैंं । जैसा कि शो में बताया गया मोहम्मद रफ़ी और मन्ना डे देशभक्ति के जज़्बे को शिद्दत से व्यक्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ गायक थे । सरस्वती कुमार दीपक द्वारा लिखा, सुरेश पुजारी के निर्देशन में सन 76 में पामेला चोपड़ा द्वारा गाया एक नॉन फिल्मी गाना शो के तीसरे गाने की तरह प्रस्तुत किया गया । देखती तुम्हें ज़मी देखता है आसमान वतन के नौजवान है तुम्हारा इम्तहान. सरस्वती कुमार दीपक ने100 फिल्मों में 400 के करीब गाने लिखे हैं पर उनका नाम बहुत कम लोग जानते हैं। देशभक्ति से ओत प्रोत ये गाना भी एक तरह से अनसुना ही था । Oli padaintha kanninai va va va एमएस सुब्बुलक्ष्मी तमिलनाडु ही नहीं पूरे भारतवर्ष में अपने विराट व्यक्तित्व के लिए जानी मानी जाती हैं। उनके द्वारा गाया एक तमिल गाना जो उन्होंने वर्ष 51 में एक गैर फिल्मी गाने की तरह गाया था और जो महान तमिल कवि, संवाददाता ,स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, सुब्रमण्यम भारती द्वारा लिखा गया है , सुनवाया गया । एस वी वेंकटरमन द्वारा निर्देशित इस गाने की बोल आशा और उत्साह से भरे हुए हैं और अमर गायिका ने इसको बेहतरीन अंदाज में गाया है । हम इनको अधिकतर भजनों और शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्य के लिए जानते हैं पर ये प्रेरणादायक गीत भी उन्होंने बखूबी गाया है। एक महान गायक की यही पहचान है कि वो हर तरह के गीत गाने में सिद्धस्त हो। गाने के बोल जिसका अनुवाद प्रस्तुत किया गया कुछ इस प्रकार हैं चमकती आंख, मजबूत हृदय, मीठे बोल, ठोस कंधे, परिपक्व मस्तिष्क, गरीबों के लिए दया, इन सब अवयवों के मालिक को आवाहन किया जा रहा है कि वो उगते हुए सूरज की शक्ति के साथ अपनी थकी हारी और लुटी धरा को फिर से हरा भरा करने के लिए पूरे जतन से लग जाए । कवि की शख्सियत महान है जिसकी एक बानगी उनकी इस रचना से हो जाती है। सिर्फ 38 साल की उम्र में इनका निधन हो गया था और अपने अल्प आयु काल में ही इनके द्वारा तमिल ही नहीं और भाषाओं में भी अभूतपूर्व कार्य किया गया है। स्त्री स्वतंत्रता और भारत की बहुधर्मी संस्कृति के प्रबल समर्थक, भारती का साहित्य और समाज सुधार के क्षेत्र में बहुत बड़ा कद है जिसका सही मूल्यांकन और आकलन शायद आज तक हो ही नहीं पाया। शैलेंद्र का लिखा हुआ एक नॉन फिल्मी गाना जो सन 71 की लड़ाई के समय मन्ना डे द्वारा कानू घोष के संगीत निर्देशन में गाया गया, बहुत ही मार्मिक और दिल छूने वाला है : प्यारी जन्मभूमि मेरी प्यारी जन्मभूमि यह गाना और देशभक्ति से भरे गानों से बहुत भिन्न है क्योंकि यह उस जोश और ओज से नहीं भरा है जिससे समान्यत: ऐसे गाने परिपूर्ण होते हैं पर इसमें देश के प्रति कर्तव्य की भावना व्यक्त करने में कोई कमी नहीं है । बहुत सटल और अंडरस्टे शटेड सिंगिंग द्वारा मन्ना दे ने अपनी बात पूरे बल के साथ सामने रखी है जो सुनने वाले को अभिभूत कर देती है । बांग्ला रंग से सजी यह रचना बहुत ही सुरीली और सुमधुर है जिसमें कमाल का ठहराव और कशिश है जो सहज ही अपनी ओर आकर्षित करता है । वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हो पुकारते हैं ये ज़मीन ओ आसमान शहीद हो राजा मेहदी अली खान द्वारा लिखा गुलाम हैदर द्वारा निर्देशित मोहम्मद रफ़ी खान मस्ताना और साथियों द्वारा गया सन 48 की शाहीद का यह गाना बहुत प्रभावशाली और देशभक्ति के प्रथम गानों में से है । अपने सशक्त बोल , सुरीली धुन और लाजवाब गायकी से गाना अपने सम्मोह पाश में बांध लेता है , जिससे निकल पाना आसान नहीं है । इस गाने का स्वभाव भी जोशीला और तेजस्वी नहीं है पर इसका लो की प्रेजेंटेशन ही इसकी खूबी बन गया है। यह इस बात का सबूत है कि बिना खून में उबाल आए भी देशभक्ति की जा सकती है और व्यक्त भी की जा सकती है । बढ़ता चल बढ़ता चल रमेश गुप्ता द्वारा लिखित और शिवराम द्वारा निर्देशित महेंद्र कपूर और साथियों द्वारा गाया यह नॉन फिल्मी गाना भी बहुत कम सुन हुआ है । गणतंत्र दिवस के अवसर पर ये उपयुक्त गाना है क्योंकि इसमें देश के युवा वर्ग को पुकार लगाई जा रही है कि वो प्रगति के राह में अग्रसर हो और अपना योगदान दें । गाना marching बीट पर बनाया गया प्रतीत होता है और इसमें मार्ग में आने वाली बढ़ाओ को पार करते हुए आगे बढ़ाने का संदेश भली भांति दिया गया है । जयोस्तुते श्री महन्मंगले शो का आखिरी गाना, अविस्मरणीय स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर का लिखा हुआ मधुकर गोलवलकर द्वारा निर्देशित और लता मंगेशकर और साथियों द्वारा गाया हुआ मूलत: मराठी गाना है जिसकी पहले दो पंक्तियां संस्कृत में है और बाकी सब जैसा कि हमारी काबिल सदस्य ने बताया संस्कृतटाईज्ड मराठी में है। इसमें कोरस के प्रेरणादायक रूप में सहगान करने का दृश्य मिलता है। गाने के जोशीले और मर्मस्पर्शी बोल स्वतंत्रता की जीत को सलाम करते हुए कहे गए हैं । महाराष्ट्र में स्कूलों में यह गाना बच्चों द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर गाए जाने वाले गानों में अग्रणी माना जाता है। इस तरह ये स्पेशल शो समाप्त हुआ जिसमें हमारे निर्माता द्वारा बड़े जतन से खोज कर कुछ अनसुने और प्रादेशिक गाने लिए गए जिसके लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं । देशभक्ति का जज़्बा केवल सेना के जवानों में ही नहीं हर वो देशवासी जो अपने-अपने क्षेत्र में अपना-अपना कार्य पूरी ईमानदारी, सजगता, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता से कर रहा है वो भी देशभक्ति में ही गिना जाना चाहिए। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में निम्नलिखित गानों की ओर ध्यान दिलाने की गुस्ताखी कर रहा हूं आराम है हराम भारत के नौजवानों आजादी के दीवानों इस देश की कोने कोने में फैला दो ये पैगाम प्यार की राह दिखा दुनिया को रोके जो नफरत की आंधी तुम में ही कोई गौतम होगा तुम में ही कोई होगा गांधी अब कोई गुलशन ना उजुड़े अब वतन आजाद है हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के इस देश को रखना मेरे बच्चों को संभाल के बच्चों तुम तकदीर हो कल के हिंदुस्तान की कहनी है एक बात मुझे देश के पहरेदारों से संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है इसके वास्ते मन है तन है और प्राण है
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आज का झुमरीतलैया शो रोशन के दो गानों से सजा था जिनमें से एक लगभग अनसुना और दूसरा सबका सुना हुआ है पर दोनों ही बहुत मधुर और बार-बार सुनने लायक है ।
सभी सदस्यों द्वारा बेहतरीन फरमाइश प्रस्तुत की गई और उसके विषय में विस्तृत जानकारी भी दी गई। वंदना निगम एक कुशल संचालिका और उद्घोषक हैं। उन्होंने शो को बहुत उम्दा तरीके से प्रस्तुत किया और कोई आश्चर्य नहीं कि सभी ने इस बारे में उनकी तारीफ की है । जयंत कुलकर्णी जी जो ग्रुप के वरिष्ठ और सम्मानित सदस्य हैं को अहिंदीभाषी होते हुए भी हिंदी और उर्दू भाषा पर कमाल का अधिकार है और उनके द्वारा अक्सर कुछ दुर्लभ कम सुने, अनसुने गाने , अपनी पसंद के तौर पर प्रस्तुत किए जाते हैं । आज भी ऐसा ही दिन था । 50 के दशक की कम चर्चित और फ्लॉप फिल्म चांदनी चौक में शैलेंद्र का लिखा रोशन का निर्देशित और लता मंगेशकर द्वारा गाया बहुत कम सुन गाना सुनवाया गया दिल की शिकायत नज़र के शिकवे एक नज़र और लाख बयां छुपा सुकू ना दिखा सकूं मेरे दिल के दर्द भी हुए जवां गाना एक खत के रूप में फिल्म में प्रयोग किया बताया गया । गाने के एक स्टैंज़ा में कहा गया है थोड़े लिखे को बहुत समझ लो नए नहीं ये अफसाने दिल मजबूर भर आता है छलक उठे हैं पैमाने खत में जहां आंसू टपके है लिखा है मैंने प्यार वो छुपा सुकू ना दिखा सकूं पहले पैरा में गायिका द्वारा कहा गया कि उसके दिल का दर्द सिर्फ उसका प्रेमी ही जानता है और कोई नहीं। लता मंगेशकर की बहुत ही मीठी आवाज इस गाने में सुनने को मिलती है जिससे शुभ मधुर धुन और अर्थपूर्ण बोल के साथ एक उच्च स्तर का गीत बन जाता है। कविराज ही इतने भावपूर्ण और असरदार गीत लिख सकते हैं । फिल्म बी आर चोपड़ा की थी पर चली नहीं थी। इस नायाब पसंद के लिए जयंत जी हमारे धन्यवाद के पात्र हैं। एनकेडी द्वारा प्रस्तुत रोशन का दूसरा गीत बहुत चर्चित है, सबको पता है पर उस गाने को रोज भी सुन तो भी उस से दिल नहीं भरता आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया कि मेरे दिल पे पड़ा था गम का साया इसमें लता मंगेशकर की एंट्री ही बहुत जबरदस्त है मैं ने भी सोच लिया साथ निभाने के लिए दूर तक आऊंगी मैं तुमको मनाने के लिए फिल्म की कहानी त्रिकोण प्रेम पर बनी बहुत कम व्यवहारिक फिल्मों में से एक है जिसमें कोई जबरदस्ती शहीद नहीं होता और नायक नायिका का सुखद मिलन भी हो जाता है। गीतकार और संगीतकार दोनों की अव्वल दर्जे की रचना ने गीत को सर्वकालिक बना दिया है । रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती के सामां हो गए ,ये तस्लीम फाज़ली की लिखी मशहूर गज़ल जो नाशाद के संगीत में मेहंदी हसन ने पाकिस्तानी फिल्म जीनत के लिए गाई थी रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती के सामां हो गए पहले जां फिर जानेजां फिर जानेजाना हो गए के पहले दो जुमलों में थोड़ा तब्दील करके कमर जलालाबादी ने एक दोगाना बनाया रफ्ता रफ्ता वो मेरी मेरे दिल का अरमां हो गए पहले जां फिर जानेजां फिर जानेजाना हो गए जो महेंद्र कपूर गाते हैं । आशा भोंसले इसके जवाब में कहती हैं रफ्ता रफ्ता वो मेरे तस्कीं के सामां हो गए पहले दिल फिर दिलरुबा फिर दिल के मेहमां हो गए आशा भोसले के हिस्से में जो पंक्तियां आई हैं सामान्यत: वो पुरुष गायक द्वारा गाई जाती हैं रफ्ता रफ्ता उनकी आंखों का नशा बढ़ने लगा पहले मय फिर मयकदा फिर मय का तूफां हो गए यह एक अपने आप में अनूठा ही गीत होगा जिसमें नाईका द्वारा मय, मयकदा,मयकदा में तूफां आदि बुलवाया गया है । गाना बहुत खूबसूरत है और श्रीनिवास गडियाल जी से इससे कम स्तर की पसंद की हम उम्मीद भी नहीं करते। बहुत कम चर्चित संगीतकार बसंत प्रकाश के निर्देशन में इतनी ठहराव लिया हुआ ये गाना, हरदिलअजीज़ है । जोय द्वारा हसरत जयपुरी का लिखा, शंकर जयकिशन का निर्देशित और मुकेश द्वारा गाया सदाबहार रोमांटिक गीत कुछ शेर सुनाता हूं मैं जो उनसे मुखातिब है एक हुस्नपरी दिल में है जो तुझ से मुखतिब है सुनवाया गया। गाना अपने अलग अंदाज के औरकेस्टेशन के लिए और मुकेश की लाजवाब गायकी के लिए जाना जाता है । गाने में सारंगी का बहुत अच्छा प्रयोग है । गाने के लम्बे अंतरे धीरे-धीरे लो पिच से हाई पिच तक जाते हैं और फिर लो पिच पर, पूरे सुर से आते हैं । गाना बहुत खूबसूरती से गाया गया हैं। निस्संदेह यह गाना शंकर जयकिशन और मुकेश के बेहतरीन गानों में से एक है । संदीप गर्ग द्वारा मुग़ल-ए-आज़म का मशहूर गाना खुदा निगेहबान हो तुम्हारा तड़पते दिल का पयाम ले लो सुनवाया गया । नौशाद शकील बदायुनी और लता मंगेशकर की यह कालजयी रचना फिल्म की सिचुएशन के अनुसार एकदम माकूल है और नायिका के जज़्बात को आवाज देता है। कार्तिकेय जुनेजा ने नौशाद शकील, बदायुनी की ही एक और रचना पसंद की मिल-जुल के गाएंगे दो दिल यहां एक तेरा एक मेरा जो सन 50 से पहले की रचना है। लता मंगेशकर की आवाज इसमें बहुत फ्रेश है। बांसुरी का अच्छा प्रयोग सुनने को मिलता है और घुंघरू भी साफ सुनाई देते हैं । इस फिल्म के सारे गाने जबरदस्त हिट हुए थे और वह साल नौशाद के लिए स्वर्णिम काल से काम नहीं है क्योंकि इस साल दर्द और अंदाज भी आई थी और उनके गाने पूरी तरह धूम मचा रहे थे । सुनिए जरा देखिए ना राजेंद्र किशन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और लता के सहयोग से बना ये गाना 70 के दशक के मध्य का है और अच्छा अरेंजमेंट होने के बावजूद ज्यादा चर्चित नहीं हुआ क्योंकि फिल्म नहीं चली तो गाना भी कहीं गुम हो गया । अनुराधा जी ने ये गाना अपनी पसंद से आज सुनवाया और हम सबको इस गाने की खूबसूरती से अवगत कराया। इसमें गिटार और सैक्सोफोन का इस्तेमाल प्रमुख है ललिता जी ने अपनी पसंद का गाना तुम जो हुए मेरे हमसफर रस्ते बदल गए सुनवाया जो मोहम्मद रफ़ी और गीता दत्त का गाया हुआ मजरूह और ओपी नयैर के सहयोग से बना सुहाना रोमांटिक गीत है। फिल्म 12 ओ'क्लॉक गुरुदत्त को रिबाउंड पर मिली थी क्योंकि इसमें पहले देवानंद ने काम करना था पर जी पी सिप्पी की एक और फिल्म में देवानंद को उम्मीद के अनुसार महानताना नहीं मिलने की वजह से देवानंद ने इस फिल्म में काम करना से मना कर दिया था । गीता दत्त की गायकी किसी भी रूप में सुनना एक सुकून का क्षण होता है । इस संगीतकार द्वारा गीता दत्त से 1958 के बाद कभी काम नहीं कराया गया जो आश्चर्यजनक होने से ज्यादा दुखद है । हमारे सभी जानकार सदस्यों ने अच्छे गीत चुने और उसके बारे में बहुत अच्छी जानकारी सबको उपलब्ध कराई । वंदना निगम का नरेशन और अंदाज तो हमेशा मनभावन और क्लास होता ही है l मेरे द्वारा प्रीमियर मेंबर प्रेजेंटेशन जो दिनांक 13 जनवरी को कम सुनी कव्वालियों के शीर्षक से प्रस्तुत किया गया था के संबंध में जिन भी सदस्यों ने उसे पसंद किया मुझे उन सब का तहेदिल से धन्यवाद करना है । रोशन की कंम सुनी, कव्वालियां में जरूर ले सकता था पर उस सूरत में कुछ और बहुत अच्छी कव्वाली जो और संगीतकारों ने हमें दी हैं वो सामने आने से रह जाती । मैं नहीं चाहता था कि कव्वाली का कुछ भी भाग संपादित हो इसलिए मैंने गानों के संबंध में बहुत कम जानकारी दी । मैं बालाजी का विशेष रूप से धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने अपने बहुमूल्य समय में से कुछ लम्हे निकालकर मेरे प्रोग्राम का रिव्यू इतने विस्तार से अपनी कीमती राय के साथ लिखा । आपका आज का प्रस्तुतीकरण हमेशा की तरह मनभावन और गहन जानकारी लिए हुए था । आज के शो के गानों की ये खासियत थी कि आज प्रसिद्ध गाने की आड़ में कोई बहुत चर्चित और बजा हुआ गाना नहीं था। ऐसे गानों का चुनाव ही इस शो को एक आदर्श शो बना देता है । बहुत से दिग्गज कलाकारों को श्रद्धांजलि भी दी गई जो उनका हक है क्योंकि उन्होंने सभी संगीत प्रेमियों को जो वेशकीमती देन दी है उसको हम कभी भूल नहीं सकते पर इस तरह एक छोटे से गिलहरी प्रयास से, उनका कुछ कर्ज तो उतार ही सकते हैं। इस शो में ऐसे महान कलाकारों को याद किया जाना एक बहुत अच्छी प्रथा है।
ये रात है प्यासी प्यासी कैफी आज़मी को याद करते हुए उनके कल्याण जी आनंद जी से दुर्लभ सहयोग और मोहम्मद रफी की बेहतरीन अदायगी इस गाने से देखने को मिलती है। 70 के दशक में जब कि किशोर दा का बोलबाला था मोहम्मद रफी ने अपने साठ के दशक के चरम काल की तरह ही इस गाने को अंजाम दिया है । उस जमाने के गानों के चलन के विरुद्ध इस गाने में जबरदस्त ठहराव है जो गाने को विशिष्ट पहचान देता है और सुनने वाले को सुकून । गीतकार के इस दुर्लभ गीत को चुना जाना बहुत प्रशंसनीय है । गाने के बोल सेंसुअस होते हुए भी कहीं से भी वल्गर या अश्लील नहीं है और इसके लिए हम कैफी साहब को सलाम कर सकते हैं। नगमा ए दिल को छेड़ के होठों में क्यों दबा लिया संगीतकार चित्रगुप्त को समर्पित यह बेहतरीन दोगाना शक्ति सामंत की फिल्म से लिया गया था और चित्रगुप्त की प्रतिभा को भली-भांति उजागर करता है । गाना चर्चित ना होते हुए भी बहुत सुमधुर है और इसका चुनाव भी बेहतरीन है। किशोर कुमार को चित्रगुप्त ने उसे दौर में बहुत अलग तरीके से और अच्छे तरह गवाया है । संतूर और तबले का मनमोहन इस्तेमाल गाने में नजर आता है । महान संतूर वादक शिवकुमार शर्मा को याद करने के लिए हृदयनाथ मंगेशकर के निर्देशन में लता मंगेशकर का गाया एक मराठी गाना प्रस्तुत किया गया जो अव्वल दर्जे का है। मराठी भाषा न जानने वालों के लिए भी इस गीत को सुनना एक विलक्षण अनुभव है । इसके गीतकार बी आर तांबे बताए गए जिन्होंने यह गाना 1900 ई के शुरू में लिखा था। गाने में संगीतकार की विलक्षण प्रतिभा से अचंभित हुए बिना नहीं रहा जा सकता । यह बताया गया कि इसमें जीवन को कैसे जिया जाना है उसके संबंध में कुछ दर्शन दिया गया है । सोच के ये गगन झूमे अभी चांद निकल आएगा ,आनंद बक्क्षी, एसडी बर्मन, लता मंगेशकर और मन्ना डे द्वारा रचित यह कालजई रचना किरनजीत चतुर्वेदी की बेहतरीन पसंद थी । गाने के मन को छू लेने वाले बोल आनंद बक्शी के न होकर इंदीवर या भरत व्यास के लगते हैं। आराधना के समकक्ष रिलीज हुई ये फिल्म अपने अलग तरह के संगीत के लिए जानी जाती है। गीतकार और संगीतकार की अद्भुत रेंज की जानकारी इस गाने को सुनकर मिल जाती है। मन्ना डे और लता मंगेशकर ने गाने के बोलो और संगीत के साथ पूरा न्याय किया है और गाने को सदाबहार बना दिया है । डॉक्टर कैंडी ने भूपेंद्र सिंह द्वारा कंपोस किया और गाया कबीर का भजन मोको कहां ढूंढे बंदे सब साथियों को सुनवा कर आध्यात्मिक लोक में पहुंचा दिया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धर्म को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की प्रथा के चलते 500 साल पुराने इस गाने की प्रासंगिकता आज से ज्यादा और कभी नहीं कहीं नहीं हो सकती। हम सब यह भजन सुनकर ही बड़े हुए हैं क्योंकि 70 के दशक में यह रेडियो में नॉन फिल्मी गानों के तहत सुनने में आता था। गाने के बोल हर धर्म को समान मानते हुए अपने अंदर ईश्वर की तलाश पर बल देते हैं ना की किसी तीर्थ स्थान या धार्मिक नगर विशेष के भ्रमण को । पुराने वाद्य यंत्र इकतारे का खूबसूरत प्रयोग इस गाने में किया गया है और गाने के बोलो को एक नई पहचान देता है । सावन कुमार टॉक का लिखा और उषा खन्ना के संगीत में आशा भोंसले द्वारा गाया गाना आओ यारों गांंओ, आओ यारों नाचो, आशा भोसले की गायकी का एक अनोखा नमूना है जिससे उन्होंने दशकों तक अपने चाहने वालों को अभिभूत किया । गाने की धुन बहुत आकर्षक है और सुनने वालों को अपने पैर थिरकाने पर मजबूर कर देती है। रात सर्द सर्द है मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले का गाया राजा मेहदी अली खान का लिखा ओपी नैयर के संगीत में चुना गया यह गाना संगीतकार को श्रद्धांजलि स्वरुप सुनाया गया। यह भी शक्ति सामंत की एक फिल्म जाली नोट से लिया गया था । निर्देशक ने और भी फिल्मों में इसी संगीतकार को मौका दिया । उन्होंने सर्वकालिक संगीत उनकी फिल्मों में दिया है । ड्रम बीट्स के साथ ब्रश और ट्रंपेट के लाजवाब प्रयोग से सजा यह गाना कम ओरकस्टेशन में भी बहुत खूबसूरत बना है । इसके शुरू में विसलिंग का उपयोग बहुत अच्छे अंदाज में किया गया है । एक काउंटर मेलोडी फ्लूट की भी चलती रहती है जो ध्यान देने पर पता चलती है। सरदार मलिक की बेहतरीन रचना ए गम ए दिल क्या करूं ए वहशत ए दिल क्या करूं जो मूलत मजाज की लिखा हुआ था और तलत महमूद ने गाया था के फीमेल वर्जन को प्रस्तुत किया गया जो आशा भोसले ने गाया है और किसी और गीतकार ने लिखा है। इस के बोल भी मेल वर्जन से भिन्न है और आशा भोसले ने अपने अंदाज में इसको बखूबी गाया है। इस को लिया जाना भी शो के संचालको की बुद्धिमता और सूझबूझ का परिचायक है क्योंकि यह बहुत कम सुना जाता है तलत महमूद का गाया गाना ही बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। कार्यक्रम के निर्माता और प्रस्तुतकरता दोनों को हमारा धन्यवाद । 🙏🙏 |
Ramakant GuptaRetd. Government Official & Music Lover Archives
February 2024
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