हम लोग हैं ऐसे दीवाने दुनिया का झुका कर मानेंगे मंजिल की धुन में आए हैं मंजिल को पाकर मानेंगे
कार्यक्रम हमेशा की तरह बहुत बढ़िया था जिसमें निर्माता की कड़ी मेहनत और खोजबीन का अंदाज़ा लग जाता है। एक मूल बात रखने की धृष्टता कर रहा हूं अगर इसको अन्यथा ना लिया जाए । गणतंत्र दिवस मनाना एक गर्व की बात है। पर जैसा कि ग्रुप के एक और सदस्य ने मेरे संज्ञान में ये महत्वपूर्ण बात लाई, जिससे मैं भी बहुत हद तक इत्तेफाक रखता हूं, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में अंतर है । गणतंत्र दिवस संविधान के लागू होने का सूचक है और उसके बाद देश के हुक्मरान और हर नागरिक का ये दायित्व बन गया था कि वो देश के विकास और निर्माण में तन, मन, धन से जुट जाएं। इस राष्ट्रीय पर्व को मनाने के लिए ऐसे गानों का लिया जाना बेहतर है जिसमें देश के निज़ाम द्वारा उस संविधान में निहित मुख्य बातों के क्रियान्वयन और उसमें आम जनता की सक्रिय सहभागिता की बातें हों। हम सब लोग इस बात से अवगत हैं कि अनगिनत लोगों के बलिदान के स्वरूप हमको आजादी मिली थी और उनका गुणगान हम जितना भी करें कम है । देश की आजादी के बाद हुए मुख्य युद्धों में हमारे सेना के पराक्रम का गुणगान भी होना ही चाहिए । आज हमारी सेना द्वारा हम सबकी सुरक्षा के लिए सुदूर सीमा पर जान हथेली पर लेकर जो अभूतपूर्व कार्य किया जा रहा है उससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता । गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश मैं मूलभूत सुविधाओं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय और सुरक्षा किसी भी तरह की गैर बराबरी का अंत, पर्यावरण का रखरखाव जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प और उनको उपलब्ध कराने में आने वाली बाधाऔं को यथासंभव दूर करने का जीवट दिखाने संबंधी गाने ज्यादा उपयुक्त है। संविधान में घोषित अभिव्यक्ति के अधिकार का संरक्षण सुनिश्चित कराना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है । एक सजग और जागरूक नागरिक के नाते हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि धर्म और जाति के भेदभाव बिना संविधान द्वारा घोषित इन मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए हम सब प्रयासरत रहे। देशभक्ति से भरे हुए दुर्लभ गाने इस अवसर पर प्रस्तुत किए गए । होनहार गीतकार प्रेम धवन द्वारा लिखा और उषा खन्ना द्वारा स्वरबद्ध किया मुकेश और कोरस द्वारा गाया 60 की फिल्म का टाइटल सॉन्ग छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी नए दौर में लिखेंगें मिलकर नई कहानी हम हिंदुस्तानी हम हिंदुस्तानी हर तरह से इस पर्व को मनाने के लिए उपयुक्त गाना है क्योंकि इसमें युवा वर्ग द्वारा आवाहन किया जा रहा है कि भूतकाल को भुलाकर वर्तमान और भविष्य के उज्जवल निर्माण के लिए हम सबको लगना है । गीतकार और संगीतकार दोनों ही अति प्रतिभाशाली होते हुए भी कम सेलिब्रेटेड हैं और , शीर्ष कलाकारों में अपना स्थान बनाने में हमेशा असफल रहे जो दुखद है। इस गाने को सुनकर कोई भी इन दोनों की काबिलियत का लोहा मान लेगा । अपनी आवाज की सीमाएं होते हुए भी मुकेश ने गाना बहुत अच्छा गया है। गाना सुनते ही हर किसी में स्वेत: ही ऊर्जा का संचार हो जाता है । 65 साल बाद भी गाने की ताजगी और नयापन नहीं गया है जो इस गाने की अमरता का प्रमाण है । 'माटी में सोना है हाथ बढ़ा कर देखो' और 'चाहो तो पत्थर से धन उगा कर देखो' ऐसी प्रेरणादायक और तरक्कीपसंद पंक्तियां प्रेम धवन ने इस गाने में हमें दी है । उन्हीं के द्वारा लिखा गया 'ए मेरे प्यारे वतन' लगभग उसी समय बहुत मकबूल हुआ था। संभवत: इन दोनों को ध्यान में रखते हुए ही मनोज कुमार ने भगत सिंह पर आधारित शहीद में उनको गाने लिखने और संगीत देनै का जिम्मा सोंपा था जिसको उन्होंने भली-भांति निभाकर इतिहास रच दिया था। बही है जंवा खून की आज धारा उठो हिंद की सरज़मीं ने पुकारा हरिराम आचार्य द्वारा लिखित, दानसिंह द्वारा निर्देशित मन्ना डे द्वारा गाया ये ओजस्वी गीत एक ऐसी फिल्म 'भूल न जाए' से लिया गया जिसको , इन कम चर्चित पर गुणी संगीतकार के अनुसार तत्कालीन सरकार द्वारा रिलीज नहीं होने दिया गया क्योंकि इसमें सन 62 के चीन के साथ हुए संघर्ष का बयान था । उन की बात से इनकार करने की हमारे पास कोई वजह नहीं है क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का काम सरकार निरपेक्ष है और हमेशा से होता आया है। आज का दौर इससे अनछुआ नहीं है । अभी हाल ही में एक ओटीटी प्लेटफॉर्म से एक फिल्म को टेक डाउन करने के लिए बाध्य किया गया है । गीत, संगीत, गायन, सभी उच्च स्तर के होने के कारण गाना अनसुना पर श्रेष्ठ है । इसको खोज निकालने का और इसके पीछे की कहानी को सबके सामने लाने के महती कार्य के लिए हमारे निर्माता शाबाशी के हकदार हैंं । जैसा कि शो में बताया गया मोहम्मद रफ़ी और मन्ना डे देशभक्ति के जज़्बे को शिद्दत से व्यक्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ गायक थे । सरस्वती कुमार दीपक द्वारा लिखा, सुरेश पुजारी के निर्देशन में सन 76 में पामेला चोपड़ा द्वारा गाया एक नॉन फिल्मी गाना शो के तीसरे गाने की तरह प्रस्तुत किया गया । देखती तुम्हें ज़मी देखता है आसमान वतन के नौजवान है तुम्हारा इम्तहान. सरस्वती कुमार दीपक ने100 फिल्मों में 400 के करीब गाने लिखे हैं पर उनका नाम बहुत कम लोग जानते हैं। देशभक्ति से ओत प्रोत ये गाना भी एक तरह से अनसुना ही था । Oli padaintha kanninai va va va एमएस सुब्बुलक्ष्मी तमिलनाडु ही नहीं पूरे भारतवर्ष में अपने विराट व्यक्तित्व के लिए जानी मानी जाती हैं। उनके द्वारा गाया एक तमिल गाना जो उन्होंने वर्ष 51 में एक गैर फिल्मी गाने की तरह गाया था और जो महान तमिल कवि, संवाददाता ,स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, सुब्रमण्यम भारती द्वारा लिखा गया है , सुनवाया गया । एस वी वेंकटरमन द्वारा निर्देशित इस गाने की बोल आशा और उत्साह से भरे हुए हैं और अमर गायिका ने इसको बेहतरीन अंदाज में गाया है । हम इनको अधिकतर भजनों और शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्य के लिए जानते हैं पर ये प्रेरणादायक गीत भी उन्होंने बखूबी गाया है। एक महान गायक की यही पहचान है कि वो हर तरह के गीत गाने में सिद्धस्त हो। गाने के बोल जिसका अनुवाद प्रस्तुत किया गया कुछ इस प्रकार हैं चमकती आंख, मजबूत हृदय, मीठे बोल, ठोस कंधे, परिपक्व मस्तिष्क, गरीबों के लिए दया, इन सब अवयवों के मालिक को आवाहन किया जा रहा है कि वो उगते हुए सूरज की शक्ति के साथ अपनी थकी हारी और लुटी धरा को फिर से हरा भरा करने के लिए पूरे जतन से लग जाए । कवि की शख्सियत महान है जिसकी एक बानगी उनकी इस रचना से हो जाती है। सिर्फ 38 साल की उम्र में इनका निधन हो गया था और अपने अल्प आयु काल में ही इनके द्वारा तमिल ही नहीं और भाषाओं में भी अभूतपूर्व कार्य किया गया है। स्त्री स्वतंत्रता और भारत की बहुधर्मी संस्कृति के प्रबल समर्थक, भारती का साहित्य और समाज सुधार के क्षेत्र में बहुत बड़ा कद है जिसका सही मूल्यांकन और आकलन शायद आज तक हो ही नहीं पाया। शैलेंद्र का लिखा हुआ एक नॉन फिल्मी गाना जो सन 71 की लड़ाई के समय मन्ना डे द्वारा कानू घोष के संगीत निर्देशन में गाया गया, बहुत ही मार्मिक और दिल छूने वाला है : प्यारी जन्मभूमि मेरी प्यारी जन्मभूमि यह गाना और देशभक्ति से भरे गानों से बहुत भिन्न है क्योंकि यह उस जोश और ओज से नहीं भरा है जिससे समान्यत: ऐसे गाने परिपूर्ण होते हैं पर इसमें देश के प्रति कर्तव्य की भावना व्यक्त करने में कोई कमी नहीं है । बहुत सटल और अंडरस्टे शटेड सिंगिंग द्वारा मन्ना दे ने अपनी बात पूरे बल के साथ सामने रखी है जो सुनने वाले को अभिभूत कर देती है । बांग्ला रंग से सजी यह रचना बहुत ही सुरीली और सुमधुर है जिसमें कमाल का ठहराव और कशिश है जो सहज ही अपनी ओर आकर्षित करता है । वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हो पुकारते हैं ये ज़मीन ओ आसमान शहीद हो राजा मेहदी अली खान द्वारा लिखा गुलाम हैदर द्वारा निर्देशित मोहम्मद रफ़ी खान मस्ताना और साथियों द्वारा गया सन 48 की शाहीद का यह गाना बहुत प्रभावशाली और देशभक्ति के प्रथम गानों में से है । अपने सशक्त बोल , सुरीली धुन और लाजवाब गायकी से गाना अपने सम्मोह पाश में बांध लेता है , जिससे निकल पाना आसान नहीं है । इस गाने का स्वभाव भी जोशीला और तेजस्वी नहीं है पर इसका लो की प्रेजेंटेशन ही इसकी खूबी बन गया है। यह इस बात का सबूत है कि बिना खून में उबाल आए भी देशभक्ति की जा सकती है और व्यक्त भी की जा सकती है । बढ़ता चल बढ़ता चल रमेश गुप्ता द्वारा लिखित और शिवराम द्वारा निर्देशित महेंद्र कपूर और साथियों द्वारा गाया यह नॉन फिल्मी गाना भी बहुत कम सुन हुआ है । गणतंत्र दिवस के अवसर पर ये उपयुक्त गाना है क्योंकि इसमें देश के युवा वर्ग को पुकार लगाई जा रही है कि वो प्रगति के राह में अग्रसर हो और अपना योगदान दें । गाना marching बीट पर बनाया गया प्रतीत होता है और इसमें मार्ग में आने वाली बढ़ाओ को पार करते हुए आगे बढ़ाने का संदेश भली भांति दिया गया है । जयोस्तुते श्री महन्मंगले शो का आखिरी गाना, अविस्मरणीय स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर का लिखा हुआ मधुकर गोलवलकर द्वारा निर्देशित और लता मंगेशकर और साथियों द्वारा गाया हुआ मूलत: मराठी गाना है जिसकी पहले दो पंक्तियां संस्कृत में है और बाकी सब जैसा कि हमारी काबिल सदस्य ने बताया संस्कृतटाईज्ड मराठी में है। इसमें कोरस के प्रेरणादायक रूप में सहगान करने का दृश्य मिलता है। गाने के जोशीले और मर्मस्पर्शी बोल स्वतंत्रता की जीत को सलाम करते हुए कहे गए हैं । महाराष्ट्र में स्कूलों में यह गाना बच्चों द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर गाए जाने वाले गानों में अग्रणी माना जाता है। इस तरह ये स्पेशल शो समाप्त हुआ जिसमें हमारे निर्माता द्वारा बड़े जतन से खोज कर कुछ अनसुने और प्रादेशिक गाने लिए गए जिसके लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं । देशभक्ति का जज़्बा केवल सेना के जवानों में ही नहीं हर वो देशवासी जो अपने-अपने क्षेत्र में अपना-अपना कार्य पूरी ईमानदारी, सजगता, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता से कर रहा है वो भी देशभक्ति में ही गिना जाना चाहिए। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में निम्नलिखित गानों की ओर ध्यान दिलाने की गुस्ताखी कर रहा हूं आराम है हराम भारत के नौजवानों आजादी के दीवानों इस देश की कोने कोने में फैला दो ये पैगाम प्यार की राह दिखा दुनिया को रोके जो नफरत की आंधी तुम में ही कोई गौतम होगा तुम में ही कोई होगा गांधी अब कोई गुलशन ना उजुड़े अब वतन आजाद है हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के इस देश को रखना मेरे बच्चों को संभाल के बच्चों तुम तकदीर हो कल के हिंदुस्तान की कहनी है एक बात मुझे देश के पहरेदारों से संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है इसके वास्ते मन है तन है और प्राण है
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Ramakant GuptaRetd. Government Official & Music Lover Archives
February 2024
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